हर साल छठ पूजा दिवाली से 6 दिन बाद की जाती है. पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 7 नवंबर की देररात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 8 नवंबर की देररात 12 बजकर 34 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में 7 नवंबर, गुरुवार के दिन ही संध्याकाल का अर्घ्य दिया जाएगा और सुबह का अर्घ्य अगले दिन 8 नवंबर को दिया जाना है.
छठ पूजा एक प्राचीन और पवित्र हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना के लिए होता है। छठ पूजा का उद्देश्य सूर्य देवता का आभार व्यक्त करना और परिवार के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करना होता है। सूर्य देवता को जीवन का स्रोत माना गया है, और इनकी उपासना से जीवन में उन्नति और खुशहाली आती है।
छठ पूजा के चार मुख्य दिन
1. नहाय-खाय – इस साल नहाय-खाय (Nahay Khay) 5 नवंबर, मंगलवार के दिन होगा. पहले दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन का सेवन करते हैं। इस दिन का उद्देश्य शरीर और मन को शुद्ध करना होता है ताकि अगले दिनों का व्रत पवित्रता से किया जा सके।
2. खरना – इस साल खरना 6 नवंबर, बुधवार के दिन है. दूसरे दिन व्रत रखने वाले पूरा दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं। इस प्रसाद को स्वयं और परिवार के सदस्यों के साथ खाते हैं, जो व्रत की पवित्रता को और भी बढ़ाता है।
3. संध्या अर्घ्य – 7 नवंबर के दिन छठ पूजा का तीसरा दिन है जिसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. तीसरे दिन शाम को व्रत रखने वाले तालाब या नदी के किनारे एकत्र होते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह समय शुद्ध भक्ति और प्रेम का होता है, जिसमें सूर्य देव से आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।
4. उषा अर्घ्य – 8 नवंबर, शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाना है. इसके साथ ही छठ पूजा की समाप्ति हो जाएगी. इसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और परिवार के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा में शुद्धता और तपस्या का बहुत महत्व होता है। यह पर्व प्रेम, समर्पण और धर्म की पवित्रता का प्रतीक है और इससे मानव जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वरदान मिलता है।
छठ पूजा की शुभकामनाएं!